इसमें पृथ्वी की उत्पत्ति की कथा होती है तो सती की भी, बिषहरी, विहुला और मनसा की कथा होती है तो मंगला गौरी की भी, लेकिन जो सबसे अचरच की बात है कि मिथिलांचल के क्षेत्र में मनाए जाने वाले इस पर्व में कथाओं के क्रम में एक दिन नवविवाहिताओं को समुद्र मंथन की कथा भी सुनायी जाती है.
भारतीय वांग्मय का एक प्रतिष्ठित ग्रंथ है रुद्रयामल तंत्र. उसमें स्वयं भगवान शिव अपनी अर्धांगिनी पार्वती को समुद्र मंथन की कथा सुनाते हैं. इसे हम सुखद संयोग कहकर खारिज भी कर सकते हैं लेकिन इस क्षेत्र में हुए समुद्र मंथन के अन्य प्रमाणों के साथ जोड़कर देखें तो एक गहन विवेचना का विषय भी है.
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