सिमरिया महाकुंभ- 2017: देवी आज भी अवतार लेती हैं

देवी आज भी अवतार लेती हैं
भारत दुनिया में अकेली सभ्यता है जिसने स्त्री को आदि शक्ति माना. बाहरी आक्रमणों और दूसरे प्रभावों के दबाव में भले ही कितना भी विचलन हुआ हो आज भी किसी घर की गृह स्वामिनी या मां का सम्मान किसी से भी अधिक होता है.

स्त्री के बिना पुरुष अधूरा है
पुरुष स्वयं को कितना ही ऊपर और शक्ति संपन्न क्यों न समझे मां, बहन, पत्नी और बेटी के बिना उसका जीवन उस पेड़ की तरह होता है जिसमें न पत्ते हैं, न डाली, न फल और न फूल ही. हम कितना ही विकास क्यों न कर लें, दुनिया घूम लें आज भी हमारे जीवन का केन्द्र हमारा घर ही होता है और यह एक अकाट्य सत्य है कि बिना स्त्री के घर घर नहीं बन पाता.

स्त्री जीवन का आत्मतत्व
पराक्रम, पुरुषार्थ, शौर्य और वीरता अगर जीवन के गौरवशाली पहलू हैं तो करुणा, त्याग, तप और वात्सल्य इस जीवन का आत्मतत्व. पुरुष जीवन का तर्क पक्ष है तो स्त्री भावना, पुरुष विज्ञान पक्ष है तो स्त्री कला, पुरुष निरोद्देश्य आनंद है तो स्त्री सोद्देश्य साधना. दोनों एक दूसरे के बिना एकांगी है और अपूर्ण भी.

जन्म देने वाला बड़ा होता है
इन विचारों से आगे बढ़ते हुए यह मानना ही पड़ेगा कि स्त्री जननी है और जन्म देने वाला हमेशा बड़ा होता है. शक्ति के बिना शिव शव हैं यह हर पुरुष के अनुभव करने की बात है.

मिथिलांचल में देवी का अवतार

यह सौभाग्य की बात है कि जिस मिथिलांचल का हिस्सा सिमरिया है वहां देवी ने तीन बार अवतार लिया. सर्वप्रथम मां सीता के रूप में, फिर देवी अहिल्या के रूप में और फिर समुद्र मंथन में साक्षात लक्ष्मी के रूप में. इसलिए मां सीता सहित तीन देवियों की धरती प्रणम्य है.

आज भी देवी का अवतार
यह भी सच है कि हमारे समाज में देवी आज भी अवतार लेती हैं. पहले मां, फिर बहन, पत्नी और फिर बेटी के रूप में. सप्तशती में लिखा है-‌

“विद्या: समस्तास्तव देवि भेदा:
स्त्रिय: समस्ता: सकला जगत्सु।
त्वयैकया पूरितमम्बयैतत्
का ते स्तुति: स्तव्यपरा परोक्ति :॥”
(अ॰11, श्लो॰6)


देवि! सम्पूर्ण विद्याएँ तुम्हारे ही भिन्न-भिन्न स्वरूप हैं। जगत् में जितनी स्त्रियाँ हैं, वे सब तुम्हारी ही मूर्तियाँ हैं। जगदम्ब! एकमात्र तुमने ही इस विश्व को व्याप्त कर रखा है। तुम्हारी स्तुति क्या हो सकती है? तुम तो स्तवन करने योग्य पदार्थो से परे एवं परा वाणी हो।

प्रश्न है कि क्या हम उनमें देवी का रूप देख पाते हैं.? सिमरिया महाकुंभ-2017 इन विचारों के मंथन का भी मौका है.



(लेख और फोटो श्याम किशोर सहाय जी के फेसबुक वॉल से)

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